नारी को अबला न समझना तुम वह गगन मे वायुयान उड़ाती है। कल्पना बन कर यही नारी, अब अंतरिक्ष में पहुंच जाती हैं।। विद्वता मे वह अब कम नहीं, उच्च शिक्षा लेकर उच्च अंक पाती हैं। बड़े बड़े स्कूल व कॉलिजो में भी वह अब पुरुषों को भी पढ़ाती हैं।। […]

खुशी से ज्यादा दर्द सच्चा लगता हैं, वो हर किसी का चेहरा पहचान रखता है। रातों को जागकर भी मेहनत करना, हर शख्स को हमेशा आबाद रखता है। मंजिल को पाने वाला हर शख्स , जिद , जुनून, कुछ पीड़ा साथ रखता है। कलम और क्रान्ति अगर साथ रहे तो, […]

है हर ओर भ्रष्टाचार, भला क्या कर लोगे तुम कुछ ईमानदार, भला क्या कर लोगे ? दूध में मिला है पानी या पानी में मिला दूध करके खूब सोच-विचार, भला क्या कर लोगे ? ईमान की बात करना नासमझी मानते लोग सब बन बैठे समझदार, भला क्या कर लोगे ? […]

काम धंधा करते रहो प्रभु का नाम लेते रहो विकार पास नही आएंगे सद्गुणी आप हो जाएंगे माता पिता के कहने पर तुम सदा ही चलते रहना अहंकारवश अपनी मत कभी ना तुम अपनाना संगमयुग की कोई घड़ी तुम व्यर्थ मत गंवाओ समर्थ बनाकर स्वयं को तुम अपना भाग्य बनाओ […]

मैं कृतज्ञ हुईं जब मैंने पाया कोख तुम्हारा फिर जीवन को पाकर धन्य हुई मां करती रही परिक्रमा हमेशा तुम्हारी हर कदम पर तुमसे ही मार्गदर्शन पाकर चलती रही भ्रमणशील सी धरा पर तुम्हारे और पापा की अंगुली थामकर बुनना सीखती रही रिश्तों के खूबसूरत से तानों बानो को जीवन […]

चार दिन की चाँदनी है,फिर तो अँधेरी रात है | चार के कंधो पर जाओगे,यही आखरी बात है || चार पैसे क्या कमा लिए,दिमाग कैसे चढ़ गए | चार दिन की नई बहू के,ये भाव कैसे बढ़ गए || चार पैसे जब कमाओगे,तब पता तुम्हे भी चल जायेगा | अभी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।