सावन में बिन बूंदों के बादल अच्छे नहीं लगते होश वाले हो जाएँ पागल अच्छे नहीं लगते सजनी के लहराते आँचल अच्छे नहीं लगते साजन बिन चूड़ी-कंगन-काजल अच्छे नहीं लगते अट्टालिकाओं को जाने क्यों हम तुम जान समझ बैठे बिन संवादों के घर-आँगन अच्छे नहीं लगते #पवन गहलोत (रोहतक, हरियाणा)  […]

राजनीति एक ऐसा विषय है जिस पर कुछ भी भविषयवाणी करना असंभव है। परन्तु, ऐसा भी नहीं कि मूकदर्शक बनकर देखा जाए और मुँह से एक भी शब्द न कहा जाए। ऐसा करना तो आज के युग में उचित नहीं होगा। क्योंकि, आज का शिक्षित एवं जागरूक समाज अब मूक […]

देश में एक ऐसा वर्ग बन गया है जो कि संस्कृत भाषा से तो शून्य हैं परंतु उनकी छद्म धारणा यह बन गयी है कि संस्कृत भाषा में  जो कुछ भी लिखा है वे सब पूजा पाठ के मंत्र ही होंगे जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है। देखते हैं –   *”चतुरस्रं मण्डलं […]

पढ़ती जा रही जिंदगी झटपट, फटाफट पृष्ठ -दर -पृष्ठ बस, पलटती जा रही हैं. किसी पृष्ठ पर; कभी जाती ठहर, क्षणभर के लिए, सुस्ताती-सोचती. हिलोरें लेता भाव, होते गड्डमड विचार. सहमत-असहमत, कई असमंजस. रुकने नहीं देती, उत्सुकता-ललक, क्या होगा?कैसा होगा? करती रहती आकर्षित, अदम्य लालसा, ‘अंत’ जानने की. ज्ञात है जबकि, […]

जाति धर्म को भूलकर करिए इंसानियत की बात कोई छोटा या बडा नही करना सद्कर्म बड़ी बात जो ईमानदारी की खाता है भले ही रिक्शा चलाता है वह उससे बहुत बड़ा होगा जो भ्र्ष्टाचार में डूबा होगा राष्ट्र की उन्नति का आधार यही स्वच्छ व्यवस्था पक्षपात नही मानव कल्याण की […]

मैं अपने कामों में ईमान रखता हूँ सो सबसे अलग पहचान रखता हूँ सब इंसान लगते हैं मुझे एक जैसे तासीर में हमेशा भगवान् रखता हूँ है महफूज़ जहाँ मुझ जैसे बन्दों से सच से लैश अपनी जुबां रखता हूँ बना रहे हिन्दोस्तान मेरा शहंशाह अपने तिरंगे में ही प्राण […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।