संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है। यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है। संस्कृत इंडो-यूरोपियन लैंग्वेज की सबसे प्राचीन […]

देखकर दर्द को कठोर से कठोर। इंसान का पत्थर दिल भी पिघलता है। और हमदर्दी के दो शब्द उसे बोलता है। जिससे उसका दर्द थोड़ा कम होता है।। दौलत के नशे में इतना मत डूबो । की समाने तुम्हें कुछ दिखे ही नहीं। क्योंकि रास्ते हमेशा सीधे सीधे नहीं होते। […]

गुरु की महिमा है अपरम्पार, नैया जो लगाए हमारी पार। पढ़ना सिखाए,लिखना सिखाए, हर प्रश्न का हमें उत्तर बताए। मुश्किल घड़ी से लड़ना सिखाए। ज्ञान की ज्योति दिल मे जलाए, गुरु की महिमा है अपरम्पार, नैया जो लगाए हमारी पार। हम नन्हे बच्चों पे प्यार लुटाए, सदाचार का हमें पाठ […]

लोकतंत्र के मंदिर में एक इतिहास रच गया आंसुओ से पलके भीगी मन मे प्यार उमड़ गया मोदी अच्छाई गिना रहे थे गुलाम नबी आजाद की जिन्होंने अपने व्यवहार से सबको कायल कर दिया आरोप और प्रत्यारोप से एक दिन मुक्त रही संसद विपक्षी नेता की विदाई ने आंखों को […]

प्रेम है तो प्यास है प्रेम ही विश्वास है प्रेम है तो ईश्वर है प्रेम ही अरदास है प्रेम ही परमानंद यह परम योग है प्रेम ही परमात्मा यह परम संयोग है प्रेम ही है अवनि प्रेम से आकाश है प्रेम ही है अग्नि प्रेम से प्रकाश है प्रेम ही […]

नजरो का मेल रंग ला रहा है। मन की बाते भी दिलको भा रही है। इसलिए आजकल दिल व्याकुल होने लगा हैं।। चेहरे का आकर्षण जुबा का बंद रहना। कुछ तो हम से कह रहा है। हा ले दिल का राज दिल को बता रहा है। और मोहब्बत का इजहार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।