जब साली के गाल पर,चला लगाने रंग, बीबी बोली चीखकर,बंद करो हुड़दंग। बंद करो हुड़दंग,जरा भी नहीं लजाते, भरे बुढ़ापे सींग,कटा बछड़ा बन जाते। देख टपकती लार,पराए घर की थाली, रह जाता मन मार,देखता हूँ जब साली। पत्नी बोली जोर से-सुनते हो कविराज, अब कविता ही खाइयो,घर में नहीं अनाज। […]

पहले खुद रंग आना जी, फिर मुझे रंग लगाना जी। श्याम रंग में —मैं रंगी हूँ, दूजा न रंग चढ़ाना जी। प्रेम का मुझे नशा चढ़ा है, मुझे ना देना — ताना जी। गीता-सा जो ज्ञान देवे, वही है —- मेरे कान्हा जी। बड़े जतन सेे आग बुझी, फिर न […]

सुनो प्रहलाद,कैसे लगाऊं तुम्हें रंग अबीर, घिरे हो तुम असंख्य होलिकाओं से.. क्या जला सकोगे इन्हें अपनी बुआ की तरह, राजनीति में षड्यंत्र को होली को। शिक्षा को सरे बाजार बेचती होली को, गाँवों को उजाड़ शमशान बनाती होली को। शहरों को कांक्रीट जंगल बनाती होली को, पेड़ों पर आरी […]

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टेसू दहके,महुआ महके,अमुआ में कोयल बोली है, बौराओ सब फ़ाग सुनाओ,बुरा न मानो होली है। गली-गली में शोर मचा है,मस्तानों की टोली है, सतरंगी रंगों में रंग जाओ,बुरा न मानो होली है। ढोल-ताशे झांझ बजाओ,रंगों की रांगोली है, हिलमिल कर सब नाचो-गाओ,बुरा न मानो होली है। रंग और गुलाल उड़ाओ,सजनी […]

जो अभी तक दल बदल रहे थे, परिणाम आते ही कुछ तो रंग वदलेंगे। विजयश्री पाकर चलेंगे अकड़कर, ऐसे अपना वो भी स्वभाव वदलेंगे। बिना कमीशन के तो फिर ये नेता उखड़ी, सड़क पर डामर तक नहीं वदलेंगे। सूरत क्या बदलेंगे शहर की वो जानते हैं उन्हें पहले खुद की […]

सब कहते शीतल , मनोरम है चांद, खूबसूरत इसे जग कहे पर यह शांत। तिमिर में करता है यह सदा उजाला, इसलिए तो बेदाग कहलाया है चांद। जब होती है रोजाना प्यारी-सी सांझ, मन को लुभाता ढ़लती सांझ में चांद। इसकी महिमा है,बड़ी ही निराली, व्रत तोड़ती है महिलाएं देखकर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।