जब साली के गाल पर,चला लगाने रंग, बीबी बोली चीखकर,बंद करो हुड़दंग। बंद करो हुड़दंग,जरा भी नहीं लजाते, भरे बुढ़ापे सींग,कटा बछड़ा बन जाते। देख टपकती लार,पराए घर की थाली, रह जाता मन मार,देखता हूँ जब साली। पत्नी बोली जोर से-सुनते हो कविराज, अब कविता ही खाइयो,घर में नहीं अनाज। […]