सुधा की नजरें बार-बार दरवाजे पर ठहर रहीं थी। उसे लग रहा था कि, बचपन की तरह आज भी उसे ‘सरप्राइज‘ देने के लिए पीयूष आ जाएगा,पर आज उसे दरवाजे की हर आहट से निराशा ही मिल रही थी। रिश्तेदारों की मूक निगाहें भी ढेरों सवाल कर रही थी,वहीं सुधा […]
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने अपना सीना तान, चल-चल रे नौजवान.. माँ का आँचल दुश्मनों ने रक्त रंजित कर दिया, अनगिनत गोलियों से लहूलुहान कर दिया.. माँ की दुर्दशा देख रो रहा आसमान, चल-चल रे नौजवान…। दुश्मनों को गोलियों से भूनकर रख दो, हाथ जो उठे तो ऊपर,खण्ड-खण्ड कर दो। हौंसले […]
ये जमीं चूम लो,आसमां चूम लो, वक्त मिल जाए तो माँ के चरण चूम लो। कोई दुनिया में माँ का सानी नहीं, हो कभी कोई माँ को परेशानी नहीं। माँ के आंचल में दुनिया की शान्ति है, माँ के आंचल में छिप जी भर झूम लो.. ये जमीं……। माँ बिना […]
बेचने आई नीरु, पीले-पीले टेमरु। स्वाद लगे रसीला, जैसे खा रहे चीकू। देखकर बोला वीरु, माँ ले लो आए टेमरु। रसना नाच दिखाती, दांत आए दिखलाऊं। इसके नाम बतलाऊं, खिरनी,तेंदूफल,टेमरु। फागुनी बसंत में आए, मनभावन प्यारा टेमरु। (म.प्र. के धार जिले में ‘मांडव का मेवा’ नाम से प्रसिद्ध है तेंदूफल, खिरनी, […]
अपनों से क्यों रुठी हो, अब मान भी जाओ गौरैया.. नन्हें-मुन्ने तुम्हें बुलाते, मेरे आँगन आओ गौरैया। दादी कहती रोज कहानी, जिसमें होती गौरैया.. दादू रखते दाना-पानी, बाग-बगीचे और मुंडेरे। छज्जे ऊपर डब्बा टांगा, पानी का सकोरा बाँधा.. चावल के दाने बिखराए, रहने आजा गौरैया। अपनों से क्यों रुठी हो, […]
उस रुठने वाले को कैसे मनाएं हम, वफ़ा करने पर भी,बेवफा कहलाए हम। जिन्दा हैं उसकी यादों के सहारे, कितने तन्हा और मजबूर.. मर भी न सके और जी भी ना सके हम। सोचा था मोहब्बत की दुनिया बसाएंगे हम, दास्ताँ अपने प्यार की सुनाएंगे हम.. वो दुनिया हमारी जलाते […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।