कूकर कौआ लोमड़ी,ये होते बदजात। लठ्ठ से इनको मारिए,तब ये सुनते बात। तब ये सुनते बात,पाक है लोमड़ ऐसा। छाती पर हो लात,बिलखता कूकर जैसा। कह सुशील कविराय,मिटा दो पाक का हौआ। घुसकर मारो आज,भगा दो कूकर कौआ। सीमा पर सेना लड़े,घर उजाड़ें गद्दार। कश्मीर में केसर जहर,कैसे होय उद्धार। […]