रजत रंजनी तेरे मुख पर, चमक नहीं अब आएगी। तड़प-तड़प कर गुमसुम यूं ही, घुट-घुटकर रह जाएगी। एक गुफा जहाँ नहीं उजाला, ये कैसे बतलाएगी। रजत रंजनी तेरे मुख पर, चमक नहीं अब आएगी। कुछ बातें मैं यूं ही जानता, मुझसे क्या छिप पाएगी। ढँक-ढँककर बढ़ती है तड़पन, मुझको क्या […]