जज्बात ए इश्क़ बयां करूँ कैसे, उनसे झुकी नज़रे मिलाऊं कैसे, मन में प्यार का समंदर भर रहा है हिलोरें, किश्ती को पार लगाऊं कैसे. जल रही है इश्क की शमा चोरी चोरी, फैला रही है सुनहरी रोशनी थोड़ी थोड़ी, नूर ए शमा को छुपाऊं कैसे, जज्बाते इश्क़ बयां करूँ […]

तुम मेरे साथ हो तो, सांसे मेरी चलती हैं। अगर तुम दूर हो तो, जां मेरी निकलती है। ये दुनिया अजायबघर है, यहाँ सब आता-जाता है। ओ मेरी दिलरुबा तुझसे, जन्म-जन्मों का नाता है। जां मेरे सपनों में न आना, दिल की हकीकत हो तुम। मुझे कभी भुला ना जाना, […]

आओ न पास बैठो, दिल के तार छू  लो। कुछ बात हो दिल से दिल की सुंदर विचार ले लो।। कुछ प्रीत झलक जाए कही बात याद आये। मन भर साथ रह ले। कुछ पल साथ बिताएं। आओ न पास बैठो, दिल के तार छू  लो। कुछ बात हो दिल […]

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निकलूं मैं  जब  तेरी  गलियों  से राहों में प्रियतम तुम मिल जाओ। लौटा  दो तुम अब मेरी नींद मुझे वापस मेरा मुझको दे दिल जाओ।। भटक रही शाम बिन तेरे भटके – भटके से दिन हैंं। क्या जानो तुम हाल मेरा हम जीते कैसे तुम बिन हैं।। पस्त अवारा अब […]

इश्क में तेरे ग़ुम हूं मैं,     ख़ामोश और गुमसुम हूं मैं ।   नाम से तेरे इश्क मुकम्मल,       बिन तेरे गुमनाम हूं मैं ।।     तुमसे मोहब्बत की थी मैंने,         तुमको ही बस चाहा था ।      दुनिया की […]

हिन्दी विरोध वस्तुत: भाषा और साहित्य के कारण से नहीं, परन्तु आर्थिक-सामाजिक-राजनैतिक कारणों से होता है। पूर्वांचल में, असम में और बंगाल मारवाड़ी व्यापारियों का विरोध हिन्दी-विरोध का रूप लेता है। उड़ीसा में संबलपुरी (हिन्दी-मिश्रित उपभाषा) अपना स्वतंत्र अस्तित्व चाहती है। दक्षिण में उत्तर भारत, संस्कृत, आर्य, ब्राह्मण और हिन्दी का विरोध एक साथ किया जा सकता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।