तुम्हारी काली साडी़ पहनना, मतलब एक घनी अंधेरी काली खामोशी का मेरे अन्तरमन में उतर जाना। समा जाना मेरी सांसो कि गहराईयो में, शायद ही एक एसा क्षण हो जिसमें न आता हो तुम्हारा चेहरा मेरी आंखो में, ओर उस काली साडी़ में तो तुम बैठ जाती हो मेरी नज़रो […]

दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन चंद्रा प्रभु भगवन की, महिमा ऐसी जो है गा रहा संजय है, ऐसी महिमा को दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन ऊँचे ऊँचे पर्वत, पर तेरा बसेरा है चढ़ न पाऊं में, जब तक तेरा सहारा न हो कैसे करूँ, तेरा दर्शन मार्ग दिखाओ मुझे , मेरे चंद्रा प्रभु दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन चंद्रा प्रभु भगवन की महिमा ऐसी जो है पाप किये है ज्यादा, पुण्य का करता रहा दिखावा अंतर मन में जहर है , फिर कैसे करूँ तेरा दर्शन सत्संग सुना, जीवन को समझा अब में पास्ता रहूं, ये सब कुछ करके दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन चंद्रा प्रभु भगवन की, महिमा ऐसी जो है गा रहा संजय है, ऐसी महिमा को            #संजय जैन परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी […]

छुपा कर तुम भी, मेरे दिल को रखती हो, अपने दिल के पास, मालुम है, दुनिया के झमेले में कहीं खो न जाये | छुपा कर हम भी तेरी तसवीर अपनी पनाहों में रखतें हैं | तुम्हे पता है की तुम से बिछड़ के कहां रह पातें हैं हम | […]

आँगल में अठखेलियां करता अबोध बच्चा बगल के कमरे में सोई हुई उम्र दराज दादी । खेत में पसीना बहाता पिता, घर के पीछे बने बाड़े में पशुओं का जुगाली करते हुए घर की दहलीज की और निहारना, माँ के होने का अहसास करवाते है। रसोई में व्यवस्थित पड़े बर्तन, […]

आज पवित्र पर्व वट सावित्री की है, आज के दिन सुहागिन महिलायें! कथा सुनती सत्यवान-सावित्री की है। वट वृक्ष के नीचे आज स्त्री पूजा करती हैं, बांस के पंखे से वट वृक्ष को हवा करती हैं। कच्चा धागा लपेटकर परिक्रमा करती हैं, उसके बाद ध्यान से सभी कथा सुनती हैं। […]

बहुत कुछ सिखाती है किताबें जीवन जीने की कला  किताबें सुख-दुख की है साथी किताबें कभी डराती है हँसाती किताबें शब्दों से सुकून देती है किताबें नन्हे बच्चों की मुस्कान किताबें माँ की अथाह प्रेम धारा किताबें ज्ञान का बड़ा महासागर किताबें भोर की मतवाली किरण किताबें चाँद तारों का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।