श्रीराम तुम्हारे श्रीचरणों में, मैं नित-नित शीष झुकता हूँ। मैं नित-नित शीष झुकता हूँ, अपनी बातें बतलाता हूँ। मुझे कष्ट हजारों हैं राघव, जिन्हें तुम्हें बताने आता हूँ। मन की अभिलाषा को तुम, भले!दरकिनार कर जाओ, मुझे राम राज्य की चाहत है, तुम फिर से राघव आ जाओ, इस धरा […]
