एक बार हिन्दी अपने घर मे बहुत ऐस्वर्य से रह रही थी. हिन्दी का बहुत बड़ा साम्राज्य था. हिन्दी अत्यंत उदार थी. उसकी भावनाए अत्यंत उच्च थी. “वसुधैव कुटुंब ” और “अतिथि देवो भव “उसके सिधान्त थे. हिन्दी की ख्याती दूर -दूर तक थी दूर परदेश मे अंग्रेजी रहती थी […]
