‘माँ हमारी गाय बहुत बीमार इसे डॉक्टर के पास क्यों नही ले जाते?’ नन्ही जूही ने अपनी माँ से कहा। माँ ने दर्द को छिपाते हुए कहा ‘बेटी तेरे बाबा भी अपनी पहली बीमार गाय को डॉक्टर के लेकर गए थे उनकी लाश ही आई थी ऐसें में कौन अपनी […]

सौन्दर्य की बात मत करो बेमानी है। भूख भूखी हो जायेगी प्यास प्यासी हो जायेगी। यथार्थ में सौन्दर्य नहीं होता नयी परिभाषाएँ बता रही हैं। आदमी की पीड़ा को अधिक से अधिक कुरेदना है प्रकृति और प्रेम के रंगों को संघर्ष के कृत्रिम रंगमंच में मात देनी है। रोटी के […]

मैं क्या मिरी आरज़ू क्या लाखों टूट गए यहाँ तू क्या तिरी जुस्तजू क्या लाखों छूट गए यहाँ चश्म-ए-हैराँ देख हाल पूँछ लेते हैं लोग मिरा क़रीबी मालूम थे हमें हम-नशीं लूट गए यहाँ फूलों की बस्ती में काँटों से तो न डरते थे हम सालों से हो रखे थे […]

क्या खूब है बातें बारिश की, कितनी सौगातें बारिश की, ये बात सुहाने मौसम की मिट्टी और उसकी खुशबू की पर्वत पर इठलाते बादल की, अटखेलियां करती हवाओं की, प्रकृति और उसकी आभा निखरी, हुई कंचन काया झरनों की, ये वृक्ष लगे है,धुले धुलें, हंसते मुस्कातें फूलों की, बड़े मगन […]

मॉरीशस में हिंदी भाषा का इतिहास लगभग डेढ़ सौ वर्षों का है। स्वतंत्रतापूर्व काल में यह भाषा बीज रूप में थी। भोजपुरी बोली के माध्यम से हिंदी विकसित भाषा को करने में भो तो का विशेष योगदान रहा है। खेतों में कड़ी धूप में गूँजने वाले लोक गीतों में, शाम […]

राजमार्ग हो या कांवड़ मार्ग हर जगह है बम बम भोले अजीब अजीब पोशाके पहने अजब अजब से सबके ढंग जहां देखो वहां भोले ही भोले चल रहे है पैदल सब होले होले कुछ गाडियो पर कुछ ट्राली मे कान फोड़ू भजनों और गानों से ध्वस्त हो गए सब यातायात […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।