. ~~~ 1… घूंधट पर्दा री प्रथा, समय काल अनुसार। देश अजादी मिल चुकी,अब बदलाव बयार।। 2….. परदेशी निजराँ बचै, बिटिया बहू हमारि। लाज शर्म बड़काँन की,घूँघट माहि सँभारि।। 3…..♀ जे पढ़लिख जावै नारियाँ,प्रगतिअवसर पाय। राजनीति अरु नौकरी, बणिज देखती जाय।। 4….. अब तो घूँघट छोड़कर,करो विकासी बात। लाज शर्म […]
