सच सोचनीय विषय है,जब हिंदुस्तान में हिंदी का सम्मान नही तो और कही कैसे होगा? सर्वप्रथम हम सब को अपनी मातृ भाषा से प्रेम करना होगा। हर कोई अंग्रेजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है, जब शिक्षा ही योग्य नही मिलेंगी, तो संस्कार और हिंदी का प्रचार और […]
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मैं छुपाती हूं,अपने भीतर प्यार, छुपाता हैं, सबूत जैसे हत्यारा, जुआरी अपना -अपना दारिद्रय, ओस अपने भीतर छुपाती है,जैसे भाप,बर्फ जैसे तरलता , सदगृहस्थनें छुपाती है,जैसे अपनी पुरानी चिट्ठियां, मछलियां अपने आँसू, समुद्र जैसे अपनी प्यास, कुत्ता जैसे भविष्य में छुपाता हैं, रोटी का एक टुकड़ा, उस तरह जिस तरह […]
