सच सोचनीय विषय है,जब हिंदुस्तान में हिंदी का सम्मान नही तो और कही कैसे होगा? सर्वप्रथम हम सब को अपनी मातृ भाषा से प्रेम करना होगा। हर कोई अंग्रेजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है, जब शिक्षा ही योग्य नही मिलेंगी, तो संस्कार और हिंदी का प्रचार और […]

लिखे भी सुन्दर,दिखे भी सुन्दर, और गुणों की खान, ऐसी प्यारी हिंदी हमारी, हमें इस पर अभिमान।। सोंधी-सोंधी खुशबू इसमें अपनी माटी की महक भी इसमें, भारत का है तीन चौथाई, हिंदी बोले हिंदुस्तान।। जनमानस की भाषा है ये, गांधीजी कहते पुरजोर, नेहरू और शास्त्री ने भी, दिया हमेशा इस […]

गृह लक्ष्मी का सम्मान करना बहुत आसान पुरुष प्रधानता का अहं छोड़ स्त्री पुरुष हो जाये समान दोनो है परमात्म सन्तान फिर करते क्यो अभिमान गृह क्लेश एक अभिशाप देता हर किसी को सन्ताप घरेलू हिंसा तो महापाप है परिवार विघटन का शस्त्र मात्र है शांति,सदभाव,प्रेम बढ़ाओ हर परिवार को […]

जहाँ पर हम जाते है , वहां पर तुम नहीं आते , जहाँ पर तुम आते हो, वहां पर हम नहीं जाते / मगर फिर भी हम दोनों, परिचित से लगते है , कोई हम को बताएगा, की ये कैसा रिश्ता है // न हम तुम को जानते है, न […]

मारा  हिन्दी  भाषा  से  हो  भाईचारा , बस यही  है  एक अंतिम पैगाम हमारा, डा अर्पण “अविचल” जी का है इशारा, जी हां “हिन्दी ग्राम “है  बस खेवनहारा, हमारे भारत वर्ष का बस एक  ही नारा, हिन्दी ही रही है राष्ट्रवादियों का सहारा, फिर हम अकेला  क्यों करे इसे किनारा, […]

एक समय था जब महात्मा गांधी और विनोबा भावे जैसे स्वतंत्रता सेनानी राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी और राष्ट्रीय लिपि के रूप में देवनागरी लिपि को स्थापित करने के लिए प्रयासरत थे। यहाँ तक कि शहीदे आज़म भगत सिंह ने भी अपनी मातृभाषा पंजाबी के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।