आसमान पर ड़ाला ड़ेरा गाँव-शहर सबको आ घेरा बड़ी दूर से चलकर आये जाने कहाँ-कहाँ से आये तरह-तरह के रुप बनाकर बरसाते हैं मस्त फुहार आ गये बादल लेके उपहार समीर गा रही मीठी मल्हार सौंधी-सौंधी खुशबू आती कृषक मायूसी छटती जाती करे प्रतीक्षा सजनी चिट्ठी की भूले सजन सुध […]
