मानव विकास का सुंदर अवतार नारी, दिव्य छवि मिटाती है अंधकार नारी। भीतर प्रभु शिशु बन आए देखो, वक्ष अमृत बना पी ली ममता सारी। धैर्य, विश्वास विष भावों की अंतर्यामी निम्न पुरूष करता तुम पर मनमानी। छिन्न-भिन्न बिखरती नहीं पलों में, तपकर बनाती साधन रिश्तों की रानी। […]