‘दुखिया”तू गमों की मारी,दुखियारी, बेचारी.. ये मार्मिक नामकरण????? नहीं!नहीं! अब सुलझ चुके समीकरण।। नारी नहीं बेचारी।।। न ही दुखों की मारी।। ये अबला,अब बन चुकी “सबला” पुरजोर हौसला कर रहा,लाचारी का नाश, आज की नारी ,छू रही आकाश।।। गगन हो या धरती “विवशता” अब, नारी के समक्ष, पानी है भरती।।।। […]