कदम तेरे जरा भी काँपे नहीं, कैसे तुमने यह कदम उठाया। पापा के प्यार में क्या कमी थी, जो तुम बाबुल को छोड़ चली॥ माँ के विश्वास को तोड़कर, कैसे तुमने यह कदम उठाया। आशिक के प्यार की खातिर, माँ का आंचल ही छोड़ चली॥ कोई तेरी छोटी-सी खुशी के […]

भाग्य विधाता सोच रहा सब। तू हस्तरेखाएँ क्यों देखे॥ नितदिन सूरज उगता रहता। तू ढलता सूरज क्यों देखे॥ देख गगन भी गरज रहा अब। तू सूखी जमीं को क्यों देखे॥ जग रौशन करना है तुम्हें। गम का अंधेरा क्यों देखे॥ अपने हुनर पे है यकीं जब। जाति-आरक्षण तू क्यों देखे॥ […]

उलझनें हैं बहुत यहाँ मगर लड़ना आना चाहिए, हौंसलों के बलबूते तुम्हें उड़ना आना चाहिए। जन्म दिया है ईश्वर ने तुम्हें मानव जाति में, कर्म का चयन स्वयं को ही करना आना चाहिए। मुक़ाम आज नहीं,तो कल अवश्य ही पाओगे तुम, राह कठिन जरुर पर निरंतर चलना आना चाहिए। दयनीय […]

दस्तावेजों की खातिर मैंने, संदूक खोला था आज। दस्तावेजों में पड़ी डायरी, न जानूँ मैं,किससे थी आखिर नाराज। कुछ पन्नों में इत्र की खुशबू थी, तो किसी में,था शब्द-सुरों का साज। पन्नों में अतीत सिमटा था मेरा, हर पंक्ति हर शब्द में जिक्र तुम्हारा। यादों के झरोखे में,मैं झूम रहा […]

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हालातों की बेड़ियों से बंधा, ‘बंदा ‘वो बड़ा मजबूर  है। बहना के ब्याह की चिंता से, वो आज घर से बहुत दूर है। ज़ख्म पर नमक डालकर, उसके घाव को हम करते नासूर हैं। बाल बिखरे,कपड़े व्यवस्थित नहीं, तो समझते उसको हम धूर्त हैं। रहन-सहन में परिवर्तन करे तो कहते […]

हिंदी न सिर्फ भाषा है, ये  हमारी  माता  है। कुछ मंदबुद्धि इंसानों के कारण, आज इसकी हो रही उपेक्षा है। माँ के प्यार में, पापा के दुलार में बड़ों की डांट-फटकार में, प्रत्येक रिश्ते में हिंदी बसता है। युवा अंग्रेजी पर अभिमान करता है, हिंदी बिना उनका अधूरा ज्ञान रहता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।