काव्य संग्रह…………. राजकुमार जैन ‘राजन’ का प्रस्तुत काव्य संग्रह “खोजना होगा अमृत कलश” प्राप्त करने का सौभाग्य मिलने से हमें बहुत ख़ुशी हुई है | देव-दानव “अमृत कलश” के लिए एक दुसरे से लड़ाई कर रहे थे | इसे प्राप्त करने की स्पर्धा चलती थी | हमें कोई संघर्ष नहीं […]

   सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को हुआ। हिंदी साहित्य में चगयवादी युग के प्रमुख कवियों में पंत जी का नाम प्रमुख है। इनका जन्म अल्मोड़ा जिले के कोसानी बागेश्वर उत्तराखंड में हुआ था। जन्म के 6 घण्टे बाद ही इनकी माता का निधन हो गया था। उनका […]

श्री बालकवि बैरागी का जैसा शांतिपूर्ण और गरिमामय महाप्रयाण हुआ, ऐसा कितनों का होता है? ऐसा सौभाग्य बिरलों को ही मिलता है। 87 वर्षीय बैरागीजी का कल अपने गांव मनासा से  नीमच आए, एक कार्यक्रम में भाषण दिया, काव्य-पाठ किया, अपने गांव लौटकर कुछ लोगों से मिले और अपरान्ह में […]

हिन्दी हमारी मातृभाषा है; मात्र एक भाषा नहीं| प्रेरणास्त्रोत अमर बलिदानी श्री राजीव भाई दीक्षित   हमारे आराध्य राजीव भाई दीक्षित के शब्दो में अंग्रेजी भाषा की गुलामी मुझे आपसे भाषा की पराधीनता के विषय पर बात करनी है। अपने भारत देश की आजादी के 63 साल बाद में सबसे बड़ा […]

महत्वपूर्ण सूचना असंयमितता, अनियमितता और अभ्रद्रता के चलते कुछ लोगों को संस्थान से बाहर कर दिया गया है| मूलत: मातृभाषा.कॉम का मालिकाना हक व संस्थापन डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ द्वारा किया गया है| मातृभाषा.कॉम सहित हिन्दीग्राम,  व मातृभाषा उन्नयन संस्थान भी उन्हीं के निर्देशन संचालित है | कुछ लोगो द्वारा रचनाकारों […]

वर्तमान में मुझे विवाह की परिभाषा बदलती हुई नजर आ रही है। अब विवाह का अर्थ वि + वाह ! पर आधारित हो गया है अर्थात विवाह वही जिसे देखकर लोग कहें – वाह वाह ! वाह वाह ! यह स्थिति कमोवेश हर वर्ग में देखने को मिल जाती है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।