एक पार्टी में हम घूम रहे थे, खाली जगह को ढूँढ रहे थे। भीड़ से हर मेजबान घिरा था, मैं ही एक ऐसा सिरफिरा था। जो भीड़ से इतनी दूर खड़ा था, मन मेरा भी दावत में पड़ा था। एक टिक्की का दसों हाथ स्वागत करते, तब टिक्की किसी एक […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
बचपन से सबको यही कहते सुना है औरतें देवी स्वरूप होती हैं। सुंदर वर्ण,सर्वगुण संपन्न,नारी की ऐसी कल्पना ही क्यूं होती है। आत्मनिर्भर,अभेय ,प्रतिभावान,कुछ ऐसी परिभाषाएं भी तो होती है॥ क्या सच में औरतें देवी का रूप होती हैं ? मां-बहन-पत्नी-बेटी,हर किरदार निभाती है। अग्निपरीक्षा हो या शादी का रिश्ता,हर […]