उड़ के बिखरुं तेरे चेहरे पे गुबार की तरह, छा जाऊँगी तुझ पे मैं खुमार की तरहl  अँधेरा ही अँधेरा है रोशन कर मुझे कभी, मैं भी श्रृंगार करूं दीवाली में बाजार की तरहll    तुझे पाकर रहूँ मैं मुमताज़ की तरह, तोड़ लूंगी तुझे मैं नर्गिस-ए-नाज की तरहl    […]

मैं गीत विरह के गाता हूं… अधरों से जब-जब अधर मिले, मैं मंद-मंद मुस्काता हूं। मैं गीत…ll जहां शीतल हृदय,है तपन वहीं, है मिलन जहां,बिछड़न भी वहीं। तब प्रणय गीत का मर्म समझ मैं, गीत विरह के गाता हूंl मैं गीत…ll सावन आता,वर्षा आती, बादल से बूंदें लुट जाती। शाम […]

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  क्यों  कलम चलाऊँ अपनी मैं इन राजनीति दरबारों पर, क्यों विवश करुं लेखनी अपनी लिखने को गद्दारों पर। इन्हीं सियासत की गलियों में रोज तमाशा होता है, बुझ जाता है दीपक वो जो बस आशा का होता है॥ चंद सियासी कुनबे मेरा देश लूटकर बैठे हैं, माथे पर इक […]

मुमकिन है मैं न आ पाऊं, पहनी है जो वर्दी खाकी। उदास न होना मेरी बहना, भिजवा देना डाक से राखी॥ तेरा गुस्सा जायज है पर, मैं भी तो मजबूर हूँ बहना।                                      […]

उनमें ज्यादा ही स्वाभिमान है, किसी काम को छोटा समझने का गुमान है। इस कशमकश में खुद ही, गुमनाम है बेचारा ही बनने का अभिमान है। उद्यमशीलता, उनका अपमान है। गरीबी,दरिंदगी, संत्रास को ओढ़े हुए फ़टी हुई चादर को समेटे हुए बीवी की लटें बिखरी हैं, क्योंकि आड़े में, स्वाभिमान […]

बिन मेहनत के कभी कोई सुंदर संसार नहीं होता, आधे मन से जीवन का यह रस्ता पार नहीं होता। प्यार हमेशा निर्मल मन की एक अमानत है यारों, बिन इसके इस जीवन का कोई आधार नहीं होता। ऊपर वाले को धोखा देने से बात नहीं बनती, नकली हो आराधन तो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।