सिमट रही थी तेरे आगोश में प्यार पाने को मगर तेरी जुस्तजू तो कोई और थी निगाहे मिलाने से कशिश नहीं आती और दूर जाने से रौनके नहीं मिट जाती हमने प्यार में धोखा खाया जिसे समझा अपना उसे गैर पाया जिसको समझ रहे थे नाकारा उसे तो तुमने सर […]

भावनाओं का निर्मल सलिल हृदय से गुज़रते ही दर्द की आग में उबल पड़ता है और निष्क्रिय मस्तिष्क फिर वापस पीछे धकेलते हुए शरीर निष्प्राण सम कर देता है हर डगर यूँ तो कठिन है पर जब हालात साथ छोड़ते हैं तब ये और भी दूभर हो जाती है फिर […]

हर सावन में आती राखी, बहना से मिलवाती राखी… बहिन भाई का अनोखा ये रिश्ता / बना रहे ये बंधन हमेशा / जो भूले से भी ना भूले, बचपन की वो सब यादे ! बहिन भाई का अटूट-प्रेम / सब कुछ याद दिलाती राखी / भाई बहिन का अनमोल ये […]

हम फिर से आदम बन गए हैं कच्चा मांस फिर पसन्द करने लगे हैं अंतर इतना ही…. पहले जानवर का करते थे अब औरत का शिकार करने लगे हैं कपड़े भी कहाँ सुहाते हैं हमें आजकल? खुद तो दिल,दिमाग से नंगे हैं ही सामने औरत दिख जाए तो उसे भी […]

आज कल हमारे समाज में पश्चिमी सभ्यता का बहुत बड़ा बोला बाला है / जिसके कारण हमारी संस्कृति और संस्कारो का तो एक दम से समपट सुआहा हो रहा है / हर चीज एक तरफ ही चल रही है / आप हमें दो, परन्तु वो ही आप हम से मत […]

इंसाँ झूठे होते हैं इंसाँ का दर्द झूठा नहीं होता इन होंठों पर भी हंसी होती गर अपना कोई रूठा नहीं होता। मैं जानता हूं कि आंखों में बसे रुख़ को मिटाया नहीं जाता, यादों में समाये अपनों को भुलाया नहीं जाता। रह–रहकर याद आती है अपनों की ये ग़म छुपाया नहीं जाता, सपनों में डूबी पलकों की कतारों को यूं उठाया नहीं जाता। इंसाँ झूठे होते हैं इंसाँ का दर्द झूठा नहीं होता इन होंठों पर भी हंसी होती गर अपना कोई रूठा नहीं होता।  #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 11

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।