थोड़ा-सा वक्त दे दे मेरे मेहरबाँ मुझे, रोकर विदा करुं या हंसकर विदा तुझे॥ जाने क्या बात थी कि तस्वीर में तेरी, पलकों की पालकी से देखा किए तुझे। पत्ते गिरे हैं जब भी कहीं शाखों से टूटकर, दिल तो मेरा भी रोया है याद कर तुझे॥ दर से विदा […]

वाणी बहुत अनमोल है, सोच-समझकर बोल…l जो सबको मीठी लगे, ऐसी वाणी ही बोलl वाणी में है शक्ति अनेक, अच्छी हो तो कहलाए नेकl चूक जाएं जब वाणी के बोल, दे वातावरण में जहर-सा घोलl संयमित वाणी गुणों की खान, गैरों की भी बचाती जानl जो वाणी पर नियंत्रण कर […]

देश अपना वेश अपना, हर ओर परिवेश अपना। जमीं आकाश अपना है, मुक्त उड़ान भरो नभ में… पूरा करना अब सपना है॥ छोड़कर छोटी बातें अब, सृजन का पथ संवार लो। देश धरा पर बिखरी हुई, सब संपदा संभाल लो॥ संस्कृति की शालीन धरोहर, संस्कारों के अमूल्य मोती। चमक रही […]

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दर्द सीने में वो, हर पल झेलता रहा। वो  बहादुर  सैनिक था, जो रातभर लड़ता रहा..॥ देख रहे थे सब, बहादुरी उसकी। वो दुश्मनों के बीच, गोलीबारी से खेलत‍ा रहा..॥ ताकत थी उसमें तो, दुश्मनों से भिड़ गया। वो था बहादुर सैनिक, जो तिरंगे के आगे झुक गया॥       […]

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संस्कृतियाँ मिट रही है,सभ्यताएँ हो रहीं हावी। संसार मिट रहा है,सम्बन्ध भी मिट रहे भावीll अपने अपनों पर,ढा रहे हैं ज़ुल्म। बेटी पर पिता का मंजर,ऐ क्या हो तुमll तुम दशरथ-तुम जनक,हिरण्यकश्यप थे तुम। तुम सरल-तुम सह्रदय,श्राप और पाप तुमll तुम वह होकर भी,पिता हो। मृत्यु श्राप न होकर,तुम भाग्यविधाता […]

आओ विकसित देश बनाएँ, ‘दृष्टि दो हज़ार बीस’ अपनाएं। सुंदर प्रकृति को हम बचाएं, गीत खुशी के मिलकर गाएँ। मरुस्थल के हम शूल हटाएँ, श्रम कर हम अन्न उपजाएँ। हरियाली चहुँओर फैलाएं, रंग-बिरंगे सुमन खिलाएँ। सागर को भी लांघ जाएं, प्रगति पथ पर बढ़ते जाएं। अपना हुनर भी दिखाएं, विकसित […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।