थोड़ा-सा वक्त दे दे मेरे मेहरबाँ मुझे, रोकर विदा करुं या हंसकर विदा तुझे॥ जाने क्या बात थी कि तस्वीर में तेरी, पलकों की पालकी से देखा किए तुझे। पत्ते गिरे हैं जब भी कहीं शाखों से टूटकर, दिल तो मेरा भी रोया है याद कर तुझे॥ दर से विदा […]
काव्यभाषा
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