हैं भारत की शान बेटियाँ, गीता और पुराण बेटियाँ। सागर की लहरों-सी मंजुल- नम्र नमित मुस्कान बेटियाँ। गंगा की लहरों-सी कोमल, मानस की रचना-सी निर्मल। सदा सुमंगल बेला पावन- नित अधरों की गान बेटियाँ। कल्पलता-सी मंगल माया, रहती जिनके आँगन छाया। लक्ष्मी विद्या-सी वरदानी- सद्ज्ञानी शुचिमान बेटियाँ। सीता राधा गार्गी […]

जब भारत अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था, चारो और मचा हाहाकार था भारत को महापुरुष  की पुकार थी, तब भारतमाता ने लाल को जन्म दिया था। १२ जनवरी १८६३ का दिन था, कोलकाता की पावन धरा पर श्री विश्वनाथ के घर जन्मे, वह बालक नरेन्द्र दत्त थे। जब कर ली […]

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मैं बहती कलरव करती, टिमटिमाती बूंदों के साथ। बहाकर लाती पहाड़ी कहानी, युगों-युगों से लेकर साथ। हरे-भरे पहाड़ों के, हृदय चीरकर लाती हूँ, गुनगुनाती हूँ जनजाति के दुख-सुखों का संगीत। पत्थरों पर टकराकर भी, चम-चम नाचती पावन मीठा जल लेकर, सबको पिलाती। मेरी ही स्पर्श से धरती ने हरियाली, चादर […]

जब भी बैठती हूँ, खुद के साथ अपनी हथेलियों को बड़े गौर से देखती हूँl आड़ी-तिरछी इन लकीरों, में न जाने क्या खोजती हूँl सिकोड़कर कुछ गाढ़ी, खिंची लकीरों की गहराई नापती हूँl पता नहीं,इन गहराइयों में, खुद को कहाँ तक डूबा देखती हूँ ?? सोचती हूँ,क्या सच में मेरी, […]

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अरमानों के पंख लगाकर, दूर गगन उड़ने तो दो। सृष्टि-सृजन जन-मन को,  कुछ मनोरंजन करने तो दो। कब तक जंजीरों में आखिर, कैद रहेगी ये गुड़िया ? गुड़िया तो गुड़िया है आखिर ! न तो है यह काँच की… और न कागज की पुड़िया। कितनी सदियां बीत गईं हैं, कितने […]

तुझसे ता-उम्र ही मेरी दूरी रही, जिंदगी की कहानी अधूरी रही। जाने क्यों फासले अपने कम न हुए, मेरी कोशिश तो हर वक्त पूरी रही। फर्क इतना रहा तुझमें मुझमें सनम, तू विकल थी औ मुझमें सबूरी रही। मैं तो झुक भी गया देख माहौल पर, तेरी जिद तेरी खातिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।