हिंसा से हिंसा ही बढ़ती सारे जग की शांति हरती बैरभाव,कटुता बढ़ती एक दूसरे से दूरी बढ़ती भाईचारा खत्म हो जाता हर कोई दुश्मन नजर आता ऐसी घड़ी मे धैर्य अपनाओ राग,द्वेष,हिंसा मिटाओ प्रेम,सदभाव की अलख जगाओ राह भटको को राह पर लाओ परमात्मा के है सब बन्दे उन्हें परमात्म […]
काव्यभाषा
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