सियासत शर्मिंदा भी नहीं, इंसान फरिश्ता भी नहीं, मौका मिलने पर दोनों गुस्ताखियां कर ही जाते है।  ऊपर लिखी लाइन अगर पढ़कर नीचे पढ़ने का विचार बना चुके है तो आपके वक़्त को किसी चुनावी सभा कि तरह भेंट नहीं चढ़ाऊंगा। सोशल मीडिया को हम आप मनोरंजन का जरिया समझ […]

बार बार सबके मन में यह प्रश्न उठता है कि  शिक्षा के क्षेत्र में इतना खर्च करने के बाबजूद आखिर सरकारी विद्यालय में शिक्षा के स्तर में सुधार क्यों नहीं हो रहा है l सरकारी स्तर पर कई कार्य किए भी जा रहें हैं,  पर सुधार की गति अत्यंत धीमी […]

दशहरे और दीपावली की छुट्टियां खत्म हुई हैं और अब बच्चे अपने स्कूल कॉलेज या जहां वे काम करते हैं वहां जाने की तैयारी में हैं…कुछ तो पर्व समाप्त होने के दिन से ही निकलने की तैयारी में लग जाते हैं… रिजर्वेशन चार महीने पहले जो ले रखी है… उल्लास […]

हिन्दी को प्रचार प्रसार की आवश्यकता है, पर किस तरह, यह एक बहुत मूल प्रश्न है । आम तौर पे कोई भी आंदोलन को स्थापित करने के लिए एक विशेष रणनीति की आवश्यकता होती है, किंतु जब किसी माध्यम को स्थापित करना हो, तो वहां रणनीति की अपेक्षा एक स्वस्फुरित […]

ये खिड़कियाँ भी जाने क्या-क्या याद् दिलाती हैं। खिडकियों से जाने कैसा रिश्ता जुड़ा है मन का ये मुझे पल-पल नये -नये अहसासों के रंग में रंगती रहती है । मुझे बचपन से ही बंद खिडकियों से चिढ़ है बंद खिड़कियाँ घुटन पैदा करती हैं खिड़कियाँ तो खुली हुई,ठण्डी,ताजा और […]

“`तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।