वर्तमान का विज्ञान पर केन्द्रित युग,इलेक्ट्रानिक मीडिया,दूरदर्शन व अन्य चैनलों के अकल्पनीय विज्ञान धारावाहिक, कामिक्सों पर सही दृष्टिकोण बाल साहित्यकार ही बालकों के समक्ष अपने सृजन के माध्यम से रख सकता है। आज का बालक सीधा,सरल अथवा जो कुछ कहो,सो मानने वाला नहीं हैं। वह प्रमाण चाहता है। उसने अपने […]

मुस्कुराता प्यारा बचपन दिन प्यारे वह सुहाने, मस्ती के सारे,सब काम याद आते हैं। स्कूल की वो पढ़ाई दोस्तों से हुई लड़ाई, वो परीक्षा वो,परिणाम याद आते हैं। वो अँधेरा मैं अकेला डरता सहमा हुआ-सा, भूतों के डर से,हनुमान याद आते हैं। तरुणाई की प्यारी यादें प्रियतम से फरियादें, इश्क़ […]

अंग्रेज़ी शिक्षा का ढांचा,खड़ा किया मैकाले ने, जैसे सिर पर जूता मारा,लिपटा किसी दुशाले में। भारत मनीषी बना रहा था,गुरुकल में संस्कारों से, बना दिया है मशीनों-सा अब,शिक्षा के हथियारों से॥ उसने सोचा संस्कारों का,धीरे-धीरे हरण करो, सीधे जड़ से भी मत काटो,धीरे-धीरे क्षरण करो। जैसे-जैसे अंग्रेज़ी,माथे पर चढ़ती जाएगी, […]

धवल कुर्तों की जेबों से, निकले अब तक आश्वासन है। झूठे वादों,झूठे स्वप्नों से, कब घर में,आता राशन है? जनता हुई बस द्रोपदी-सी, तैयार खड़ा दुशासन है। सेवा सुश्रुषा,सब बीती बातें, आँखों में बस सिंहासन है। कुंडली मार बस,बैठे इस पर, इनका यह प्यारा आसन है। गांधारी-सा पट्टी बाँधे, चलता […]

थक गया हूँ ए-जिंदगी,लड़ते-लड़ते। झूटे फ़रेबी मक्कारों से,भिड़ते-भिड़ते॥ संभल-संभल के संभला हूँ में,गिरते-गिरते। पहुँच गया हूँ इस हाल में,बढ़ते-बढ़ते॥ उतर गया कसौटी पर बस,चढ़ते-चढ़ते। कट गई रातें जीवन अनुभव,पढ़ते-पढ़ते॥ बढ़ गए लोग ख़ुशामदी से यूँ,मंज़िल तक। झूठी तारीफों के पुल बस,गढ़ते-गढ़ते॥ कसीदे पढ़ते-पढ़ते….॥               […]

एक कथा दो सभ्यता, बुनी पटकथा कर दी खता। परतंत्र थे न स्वतंत्र थे, आतताइयों के सब षड्यंत्र थे। अपने ही कुछ गद्दार थे, उनके बढ़े यूँ अत्याचार थे। दोहराओ तुम न भुलाओ तुम, घाव दासता के दिखलाओ तुम। भूलेंगे न हम बलिदान को, बट्टा न लगे कुलमान को। उत्तेजित […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।