कुछ कहि कुछ अनकही बात रह गई है लालसा। संपूरित होते सपने अधूरे रह गई है लालसा।। छूँ लूं अपरिमित गगन और मुठ्ठी भर आकाश, किन्तु रह गई है लालसा। दीप बन हरने चली तमस घनघोर रात की स्वर्णिम सबेरा आएगा, रह गई है लालसा।। वट वृक्ष सा परिवार खण्डित […]

           मां मां देवी का रूप है,      ममता की है खान। करे तपस्या शिशु हित में धरती की भगवान।।            पिता पिता  हृदय सागर बसे,   पर्वत सा जो गम्भीर। कठोर बने पुत्र हित में   सँवार दे तकदीर।।   […]

      घड़ी घड़ी घड़ी का फेर है,     मन में राखो धीर। राजा रंक बन जात है,    बदल जात तकदीर।।              प्रेम प्रेम न सौदा मानिये,     आतम  सुने पुकार।  हरि मिलत हैं प्रीत भजे मति समझो व्यापार।।     […]

लोकतंत्र का अभिमान हूँ मैं भारत का संविधान हूँ। मुझमे बसा है भारत देखो हिंदुस्तान की जान हूँ। । मैने समता सम्प्रुभता से भारत को सींचा था। बाबा के सपनों में मैंने समाज वाद भी देखा था।। टूटे मेरे सपने स्वराज के राजघाट में लेटा हूँ। संसद के गलियारों में […]

पंच से अपने कमाल कर दिया मेरीकॉम आपने देश का नाम कर दिया। नारी की महिमा को नाम दे दिया 35 की उम्र को भी मात दे दिया मेडल स्वर्ण देश के नाम कर दिया।। बच्चों को भी पाला मां का फर्ज भी निभाया। तेरी दृढ़ शक्ति से इतिहास बन […]

मां मंदिर की आरती,मस्जिद की अजान है। मां वेदों की मूल ऋचाएं, बाइबिल और कुरान है। मां है मरियम मेरी जैसी, मां में दिखे खुदाई है। मां में नूर ईश्वर का रब ही मां में समाई है। मां आंगन की तुलसी जैसी सुन्दर इक पुरवाई है। मां त्याग की मूरत […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।