धरा रही बंगाल की, सब हिंसात्मक होय। शासन देखे टुकुर टुकुर,लोकतंत्र की हत्या होय।। लोकतंत्र की लाज अब, बचना है मुश्किल। सब अपनी मनमानी करे,जन मन को भूल।। लोकतंत्र में सभी का, संम्पूर्ण योगदान। सब मिल रक्षा करें,तभी रहेगा मान।। लोकतंत्र का आया पर्व, मनाओ हर्षोउल्लास। भाईचारे बचाये राखीयो, उलझियो […]
ashutosh
संस्कृति की जन्भदात्री है, यह हमारा देश। अलग-अलग धर्म है,तनिक भी नहीं द्वेष।। ऋषि मुनि गुरूजन का , संस्कृत था प्राण। रचते-रचते रच दिए,कितने ही वेद-पुराण।। धरा रही दानवों की,भूल गयी संस्कृति। हिंसात्मक न सोच हो, ना फैलेगी विकृति।। संस्कृत से समाज का,कालान्तर से उद्धार। नित-दिन उजागर हो,सभ्यता का द्वार।। […]