वो लोग बहुत याद आते हैं जो दिलो में जगह बनाते हैं वार्ना सिकन्दर सरीखे भी दुनिया मे भुला दिए जाते हैं जो अपने अल्फाजो में दर्द उकेरते हैं परायो का जो अपनी मुठ्ठिया भर उलीचते हैं खुशियां किसी के आँगन में चुपके ही से निःस्वार्थ प्रीत का पौधा उगाते […]

जाना है हर किसी को इस जहान् को छोड़ के कुछ नही हाथ आएगा इस सच्चाई को भूल के जब तक सांस जारी है तभी तक जीवन है भाई अगर सांस रुक गई तो देह भी मिटटी हो जाई जब जाना ही है जहान से कुछ अच्छे काम कर चलो […]

ये प्रश्न बड़ा गूढ़ है कि जीवन बदलता है या परिस्थितिवश मानव और कैसे बदल जाते हैं संग उनके मानवीय मूल्य जिसके विकास और ह्रास की अवधारणा इतिहास के पन्ने तय कर देती है या फिर कोई अभेद्य विचार धाराएँ जीवन अनवरत अपनी गति से बहती चली जाती है किसी […]

घर को किया जो साफ आज तो मन की दिवारें खुलती देखी,,, बिखरी चिट्ठीयां देख पुरानी दिल की कराहें हिलती देखी,,, बरसो पहले के कुछ सपने जैसे गिरकर टूट गए हों,,, किसी की चाहत के अफसाने जैसे मुझसे रूठ गए हो,,, चिट्ठीयों के अक्षर धुंधलाए उन जज्बातो का कोई मोल […]

भारतीय भाषा की झंकार, जनमानस तक पहुचाई, कृष्ण तुम्हारी गीता गाई,। तेरे द्वार लगाया डेरा, जीवन सफल हुआ मेरा, तेरे चरणो की रज लेकर, अंग -अंग भस्म समाई, कृष्ण तुम्हारी गीता गाई। अश्रु बहाये चरणो पर जब, सत्यामृत की धार वही तब, अपने उर के चम्मच से, प्यासे जग की […]

कभी ऐसे भी कुछ झरने खोते रहे हम, बस इक तस्वीर देखकर रोते रहे हम. कभी रातें भी गुलज़ार थी तेरी चहक से, कभी दिन को रात मानके सोते रहे हम. चादर की सलवटों से तेरी महक जाती नहीं, कई दफा मल-मल के उसे धोते रहे हम. मेरी सारी वफायें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।