भावनाओं का निर्मल सलिल हृदय से गुज़रते ही दर्द की आग में उबल पड़ता है और निष्क्रिय मस्तिष्क फिर वापस पीछे धकेलते हुए शरीर निष्प्राण सम कर देता है हर डगर यूँ तो कठिन है पर जब हालात साथ छोड़ते हैं तब ये और भी दूभर हो जाती है फिर […]
काव्यभाषा
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