मुल्क के पहरुओं को जागना जरूरी है, बढ़ रही तबाही को रोकना जरूरी है। योजना चली,लेकिन हर जगह नहीं पहुंची, फाइलें उठाकर ये खोजना जरूरी है। आने वाली पीढ़ी में अपना मुंह दिखाने को, एक वृक्ष उल्फत का रोपना जरूरी है। क्रांति आ नहीं सकती व्यक्तिगत लड़ाई से, इस कदम […]

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हालातों की बेड़ियों से बंधा, ‘बंदा ‘वो बड़ा मजबूर  है। बहना के ब्याह की चिंता से, वो आज घर से बहुत दूर है। ज़ख्म पर नमक डालकर, उसके घाव को हम करते नासूर हैं। बाल बिखरे,कपड़े व्यवस्थित नहीं, तो समझते उसको हम धूर्त हैं। रहन-सहन में परिवर्तन करे तो कहते […]

रत्न विभूषित छम-छम करके,इतना क्यूं  ललचाती हो। मेरे वश में नहीं हो फिर भी,मुझको क्यूं पास बुलाती हो॥ मैं गँवार जो गाँव का ठहरा,तेरी कीमत क्या जानूं। जो कहते फिरते हैं सब वो,मैं तो बस उतना मानूं॥ मैं छल से तुझे नहीं चाहता,सच्चाई से आओगी। पता नहीं आओगी या भी, […]

`चायनीज` और `स्वदेशी` का झंझट ही मिटाएँ, अब से दीपावली पर पटाखे ही न जलाएँ इस दिवाली पटाखे न जलाकर, गरीबों के घर दीपक जलाएँl  आओ सार्थक दीपावली मनाएँ, इस दिवाली व्यसन न करकर गरीबों को मिठाई खिलाएँ आओ सार्थक दीपावली मनाएँl  इस दिवाली चीनी सामान न लें, स्वदेशी वस्तुएँ […]

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हौंसलों में मेरी उड़ान अभी बाकी है, अभी टूटा नहीं हूँ,जान अभी बाकी है। रुठकर क्यों गया,आजा ये मेरा आखिर है, तुझे मनाने का अरमान अभी बाकी है। वहां तो बनने लगे शीशमहल अब सबके, गांव में अपना एक मकान अभी बाकी है। बेचने के लिए अब तो शहर में […]

कारवां न चले मेरे संग में तो क्या, राह मेरी अकेले भी कट जाएगी। पग में हैं भरे मेरे काँटें तो क्या, चुन के उनको हटाना है आता मुझे। ज़ख़्म सहकर मैं मुस्कुराता सदा, दर्द जीना हमेशा सिखाता मुझे॥ देखकर मुश्किलें जो सहम जाऊँ मैं, आ के नाकामी मुझसे लिपट […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।