6

इस तरह कभी तुमने सांझ को ढलते देखा है। दूर कहीं आसमां के तले जिंदगी को मिलते देखा है॥ चेहरे की झुर्रियाँ बताती हैं हमें कि उम्र को रफ्ता-रफ्ता ढलते देखा है। कचनार की शाखों से पूछो तो जरा, उसने कभी गुंचों को टूटते देखा है॥ उस वक्त वो था […]

स्वतंत्र-संस्थानों के कानून- वारांगणानों के हाव भाव- दोनों में है कितनी समानता- कितना मिलाव। चाँदी की चमक के माप पर बदलते भाव,वारा-कन्याओं के- मालिकों के लाभ-हानि के माप पर, बदलते कानून-स्वतंत्र संस्थाओं के। ज्यों हो कोई संगीत कुर्सी का खेल- रुक जाता है संगीत, बजते-बजते। खिलाड़ी हो जाते विवश- चलते-चलते। […]

झूठ ऐसे न बोलो,लोग सब जान लेंगे, बात दिल की जो ठहरी,निगाह पहचान लेंगे। लाख कोशिश करो तुम मुहब्बत न छुपेगी, लोग हर एक घड़ी पर तेरा इम्तिहान लेंगे। ढूंढ लेंगे जहाँ में कमी तेरी भी कोई, बाद में ये बेगाने तेरी ही जान लेंगे। हो सके तो तुम मानो […]

देखो जरा हथेली अपनी, उसमें हल्की-सी लकीर हमारी भी…॥ मत होना परेशान कभी, मेरी किस्मत की लकीरों में नाम तुम्हारा शामिल है…॥ देखो जरा हथेली अपनी, उसमें बसी तकदीर हमारी। मिलना-बिछड़ना खोना-पाना, यह खेल बेशक नियति का इसी नियति में चुना तुझको, देखो मेरी किस्मत में॥ कितनी भी हम कोशिश […]

प्यार किया है दोनों ने,पर सरहद की मजबूरी है, दो दिलों के बीच में देखो,दो देशों की दूरी है। मिलन बड़ा मुश्किल है उनका दोनों खूब समझते हैं, तड़पते रहते रातों-दिन छुप-छुप आहें भरते हैं। बड़ा कठिन है जीवन उनका ख्वाहिश सभी अधूरी है। दो दिलों….॥ दुश्मनी है दोनों देशों […]

कुछ रोशनी के छींटे आए नजर उधर से। कोई गांव जल गया,लगता है एक पहर से॥ कुछ खुशबू भी है, सौंधी-सौंधी मिट्टी और राख की। उबला हो जैसे आलू,बटुए में हल्के-हल्के॥ अंगड़ाईयां है, लेती मेरे मन की यह दीवारें। शर्मा जाती है घासों की ये लम्बी कतारें॥ जब फूंकती हवा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।