हिंदी न सिर्फ भाषा है, ये  हमारी  माता  है। कुछ मंदबुद्धि इंसानों के कारण, आज इसकी हो रही उपेक्षा है। माँ के प्यार में, पापा के दुलार में बड़ों की डांट-फटकार में, प्रत्येक रिश्ते में हिंदी बसता है। युवा अंग्रेजी पर अभिमान करता है, हिंदी बिना उनका अधूरा ज्ञान रहता […]

कुछ बात दिल में रह गई कहने के बाद भी, उद्विग्न रह गए हम मिलने के बाद भी। करने के लिए जिंदगी में काम है इतना, फुर्सत नहीं जरा-सी मरने के बाद भी। सुख छोड़कर कहीं भी वह रह नहीं सका, नित सैकड़ों मुसीबत सहने के बाद भी। कुछ कर […]

ऋतु बसंत से अलहदा होता है मन का बसंत, शाख के हरिआते पत्ते गुंजित कलियाँ कहती, देखो ……. आनंदमय हुआ जग सारा मन के कोने में भूली बिसरी, अदना-सी स्मृति आकर कानों में कहती …… ऐ देख …. मैं    आ     गई। अचानक  बियाबान में मुस्कुरा उठा हो […]

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  सोते नहीं बना,कभी जगते नहीं बना, घुट-घुट किसी की याद में मरते नहीं बना। सबने कहा यही उसे दिल से बिसार दूं , पर बेवफा को दिल से बिसराते नहीं बना। कांटों में रह के हंसने की कोशिश तमाम की, फूलों की तरह पर कभी हंसते नहीं बना। वह […]

बिल्कुल सुई की नोंक पे चलने लगे हैं लोग, स्तर से एकदम ही गिरने लगे हैं लोग। कहने के लिए सिर्फ है हाथों में तराजू, आंखों में धूल झोंक के ठगने लगे हैं लोग। लगता है मोहल्ले में कोई हादसा हुआ, घर से निकल के छत पे टहलने लगे हैं […]

यह अगस्त मेरे भारत का भाग्यशाली महीना है, पर्व पन्द्रह अगस्त का सभी पर्वों में नगीना है। आज की ही तारीख में ; मुल्क आजाद भारत हुआ, दासता की कठिन बेड़ियों से जकड़ा आबाद भारत हुआ। मिट गईं वक्त की बंदिशें, लगा अपना करीना है। यह अगस्त मेरे भारत का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।