दिव्य छंद तुलसी रचे, भारत हुआ कृतज्ञ। मै, उनके सम्मान में, दोहे लिखता अज्ञ।। हुलसी तुलसी गंध सी, सेवित तुलसीदास। भाव आतमा राम से, मानस किया उजास।। नरहरि जी सद्गुरु मिले,पायक हनुमत वीर। रत्नावली से राम का, मिला पंथ मति धीर।। मानस मानस में रखे, पहचाने अरि मित्र। तुलसी ने […]