जिंदगी भर जिंदगी के बिखरे तिनके चुनता रहा। बिगड़ते हुए ख्वाबो को यूँ ही बुनता चला गया।। भरे हुए जख्म जिन पर नमक लगाया लोगो ने, उन छिले जख्मो को मरहम लगाता चला गया। सपने जो पेड के पत्तो से ओश की बूंदों सा टपक रहे थे। उन बूंदों को […]

तू अंश नहीं मेरा फिर भी मेरा वजूद है सबब है ज़ीने का मेरे तू मेरा अच्छा नसीब है जुस्तजू थी मेरी जब तक तुझे न पाया था तेरे आने पर हर दिन दीवाली सा मनाया था तू नहीं था जब जीवन में मेरे तब मन में एक अहसास आया […]

रावण के किरदार में देखो राम आ गया अपनी जान देकर चौदह की जान बचा गया उसने नहीं खोजी थी गलती किससे हो गई रावण जलाने निकले थे अनेको की जान चली गई पहनावे में वह रावण था संवाद में वह रावण था व्यवहार में राम हो गया साक्षात भगवान […]

लौट के आ , लौट के आ , लौट के आ/ आ लौट के आज गुरुवर, तुम्हे बीना नगरी बुलाती है / जैसे की तैसी पढ़ी जब से , यहाँ से गए हो आप तब से / आ लौट के आज गुरुवर, तुम्हे बीना नगरी बुलाती है // वर्षे नयन […]

  सुबह-सुबह पड़ती है कानों में गुरद्वारे से आती गुरबाणी की आवाज तभी हो जाती है शुरु मंदिर की आरती दूसरी ओर से आती हैं आवाजें अजानों की नहीं समझ पाता किस से मिल रही है क्या शिक्षा सब आवाजें मिलकर बना डालती हैं धर्म की खिचड़ी #विनोद सिल्ला   […]

(लय :-तेरे चेहरे से नजर नहीँ हटती नजारे हम क्या देखें) प्यारे भारत ,प्यारे भारत ,तुझपे मैं कुरबां कुर्बानी कोई क्या देखे । मेरे दिल पे ये तेरे ही निशां निशानी कोई क्या देखे । धरती पे तेरी ये मुल्क समाया है ,सारी ही दुनियां में हमको ये भाया है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।