बांसुरी वादन से खिल जाते थे कमल  वृक्षों से आँसू बहने लगते स्वर में स्वर मिलाकर नाचने लगते थे मोर गायें खड़े कर लेती थी कान पक्षी हो जाते थे मुग्ध ऐसी होती थी बांसुरी तान नदियाँ कलकल स्वरों को बांसुरी के स्वरों में मिलाने को थी उत्सुक साथ में […]

इस कलयुग में कितना कुछ सहे। और किससे फर्याद करे  /  जब रक्षक ही भक्षक बन जाते/ तो फिर किसे हम आस रखे // तब से लेकर अब तक, कितना कुछ बदल रहा है / इंसान ही इंसान को खा रहा है/ और दौलत के पीछे भाग रहा है // […]

जल कहता है इंसान व्यर्थ क्यों ढोलता है मुझे प्यास लगने पर तभी तो  खोजने लगता है मुझे । बादलों से छनकर मै जब बरस जाता सहेजना ना जानता इंसान इसलिए तरस जाता । ये माहौल देख के नदियाँ रुदन करने लगती उनका पानी आँसुओं के रूप में इंसानों की […]

जब से मिली है, तुम से नजरे । तब से न जाने, क्या हो गया । अब तो आँखे भी, शर्मा ने लगी  । किसी और से , नजरे मिलाने को।। तेरे इंतज़ार में, एक उमर हो गई । रात रुक सी गई, और सहर हो गई । पता नहीं […]

फैशन ने लूट लिया । अब घरों का चैन सारे बने को चले। हीरो और हिरोइन ।I सकल सूरत देखते नहीं। न देखें अपनी औकात । होड़ करने को चले  । फिल्मी दुनियां से आज ।l कितने घर बर्बाद हो गए । इस चक्कर में पड़कर।  कितने अब भी और […]

मान मिले सम्मान मिले, नारी को उसका स्थान मिले। जितनी सेवा भक्ति वो करती है । उससे ज्यादा उसे सम्मान मिले। कितना कुछ वो, पूरे दिन भर करती है / घर बाहर का सब कुछ देखा करती है। सगे सम्बधियो और अपनों से रिश्ता निभाती है / और फिर भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।