भाग-३…………. पत्नी की मृत्यु के बाद राकेश उस सदमे से बाहर नहीं आ पा रहा था। उसे लग रहा था कि उसकी जिंदगी भी अब खत्म हो गई है, परंतु छोटी-सी बच्ची का चेहरा देखकर वह अपने-आपको जीवित रखने का प्रयास कर रहा था। आज वो उस दोराहे पर खड़ा […]

रामभरोसे और नयनसुख शहर के दो बहुत ही प्रतिष्ठित परिवारों के मुखिया थे। दोनों परिवारों के बीच दांत-काटी रोटी जैसे मधुर संबंध वर्षों से थे। समय चक्र अपने दायित्व का भली-भांति निर्वाह कर रहा था। कुछ समयान्तर के बाद रामभरोसे की पुत्री ने स्नातक और नयन सुख के पुत्र ने […]

रमा कई दिनों से अपने पति(सुरेश) को बेचैन देख रही थी। दिन तो कामकाज में कट जाता,पर रात को उसे करवटें बदलते रहने का कारण समझ नहीं आ रहा था। वह हर सम्भव अपने पति को खुश रखने का प्रयास करती,पर नतीजा शून्य ही रहता। कई बार उसने पति से […]

एक ही मकान में रहते थे। पुराने शहर में बड़ी-बड़ी हवेलियों में से एक हवेली में हमारा परिवार रहता था। हवेली के बीच में बहुत बड़ा बरामदा था और उसके इर्द-गिर्द छोटे-छोटे कमरे। तीन मंजिला हवेली में कुछ याद नहीं,लेकिन दस से बारह परिवार रहतेथे। वह रिश्ते में हमारी `ताई` […]

चकाचौंध रोशनी में नहाया राधेश्याम जी का घर ऐसा लग रहा था-मानो दीपावली आज ही हो। मेहमानों से भरा हुआ घर,सभी हर्षोउल्लास से भरे थे। राधेश्याम जी के सीढ़ियों से उतरते  ही सभी तालियों से उनका स्वागत करने लगे। आखिर क्यूँ न हो,साहित्य के बड़े सम्मान से उनको आज ही […]

‘सुनीता कब से बोल रही हूँ,रोटी बनाने क़ो ! सुन ही नहीं रही। इतनी देर से फ़ोन पर किससे बातें कर रही है ?’ रीता झुंझलाते हुए आउटहाउस में सुनीता के कमरे की ओर चली गई। सुनीता हाथ में मोबाइल पकड़े हुए बुत-सी खड़ी थी और उसकी आँखों से लगातार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।