परमात्म लीला हुई है एक युगल सुनीता मिली है एक दस दिसम्बर की बात है यह युगल बनने की वर्षगांठ है यह ईश्वर साक्षी रहा हमेशा जीवन सुखद जिया हमेशा धर्म आध्यात्म जीवन मे आया युगल विदुषी को कन्हैया भाया मीरा बन वह साधनारत है मेरा मन भी ईश्वरीय मत […]

नजर-नजर की अदा कमाल सी झुकी-झुकी घटा कमाल सी। नजर-नजर की मिसाल तारीफ-दर-तारीफ वेमिसाल। नजर-नजर की बातें लगती है सुहानी-सुहानी रातें नजर-नजर की मुलाकातें सताती-सताती है दिन-रातें। नजर -नजर की झुंझलाहट चढा-बढा रही है कड़वाहट। नजर-नजर की वफा मिलकर-मिटाती है दूरियाँ नजर-नजर की प्रभा लेती-देती है दुआ नजर-नजर की सौगातें […]

मां ने अपने दोनों बेटों का पालन-पोषण बङे ही लाड- चाव से किया उनको पढाया-लिखाया काबिल बनाया और वे अब शायद मां से भी बङे हो गए आज वे दोनों अलग हो गए घर के बीचोंबीच दीवार बन गई घर का सारा सामान बांट लिया कोशिश की आखिर उन्होंने अपनी […]

        “ये दुनिया देखेगी’ द्वार से निकली दर्द-ए-कराह तो, ये दुनिया ही तुझे हँसकर देखेगी… मत बन तू गुमनाम इस जहां में, ये दुनिया ही तुझे डसकर देखेगी… बनाती रही खुद का तमाशा तू, तमाशबीन ये तुझे बनकर देखेगी.. झुकी रही अगर कदम-ब-कदम तू, ये पूरी दुनिया […]

इश्क में तेरे अब मेरा क्या हाल हो गया, जीने लगा अब मैं, वाह क्या कमाल हो गया, अजनबी,अनजान,अजीबोगरीब था पहले मैं, अब तेरे इश्क-ए-रहमतों से मैं मजबूत ढाल हो गया, न ही नींद,न ही ख्वाब आते थे पहले मुझे, अब तो तेरे रंगीन खयालातों से मालामाल हो गया, बेअसर,बेढंग,बेरंग […]

बड़े सुंदर उजियाले थे,जब गाँव के घरों में छोटे से आले थे। दिल मे सच्चाई थी,जब गाँव के चूल्हे पर बनते निवाले थे।। एक साथ चूल्हे के सामने बैठकर खाना खाते भाई सभी। एक दूसरे के लिए मन से साफ,कभी ना मन के काले थे।। लालटेन की रोशनी में रात […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।