इस तरह से घयाल मत करो। दिल मेरा नाजुक है,  कही टूट न जाये। और जो बन रही है बात। कही वो बीच में, छूट न जाये।। कोई तो होगा आपके दिल में। जिसके लिए आपका,  दिल धड़कता होगा। तुम अपना दिल,  जिसको दोगे इससे पहले। इस न चीज पर, […]

श्रध्दा भक्ति विनय समर्पण का इतना फल हो। मेरी दीक्षा गुरुवर तेरे कर कमलो से हो।। जन्म जन्म से भाव संजोये दीक्षा पायेगे। नग्न दिगंबर साधू बनकर ध्यान लगायेंगे। अनुकम्पा का बरदहस्त यह मेरे सिर धर दो।1।  मेरी दीक्षा गुरुवर तेरे कर कमलो से हो। श्रध्दा भक्ति विनय समर्पण का […]

जब से मिली है नजरे तुम से। दिल मे कुछ तो होने लगा है। था पहले कठोर और नीरस । अब वो मचलने और पिघलने लगा है।। अब क्या मेरे साथ हो रहा है। मुझे नही है कुछ भी खबर। दिल जो था मेरा नीरस सा, अब रसो से भरने […]

दिल के झरोको से, सब कुछ दिखता है। तभी तो दिल हमारा एकदम साफ रहता है। तभी तो प्यार के लिए दिल मेरा उमड़ता है।। दूर होकर भी आप मेरे, बहुत करीब जो रहते हो। लगती है चोट तुम को, दर्द हमे महसूस होता है। क्या इसे ही दो दिलो […]

आज आपका गुड बाय मेल पड़कर कुछ ख़ुशी तो कुछ दुःख हुआ। परन्तु दुःख को भूलकर  हमें ख़ुशी का ही साथ देना होगा क्योकि प्रक्रति का नियम है की जो आते है तो उसे जाना भी पड़ता है । जीवन एक नदी की तरह है जो हमेशा ही बहता रहता […]

भावना और भाव, दोनों में अंतर है / प्यार और प्यास, दोनों आपस में, क्या एकदूसरे के पूरक है। मै कुछ समझा, और न समझा। मुझे कुछ ज्ञात ही, नही हो रहा है।। शायद आप ही,  समझा सके अब हमें। लेकर यही आस, आये है आपके पास। की रुबा रू […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।