खोखले हो गए परिवार , चर गई दीमक रिश्तों को .. सह कुटुंब का अस्तित्व कहां गया ? दूर कहीं किताबों में … या बड़े -बूढ़ों की यादों में.. पहले एक ही छत के नीचे , एक ही चूल्हे पर , पकता था प्यार ! अगाध स्नेह… जो झलकता था […]

नीर धीर दोनोे मिलते थे, सखी-कान्ह परिहास। था समय वही,,अब कथा बने, रीत गये उल्लास। तन मन आशा चुहल वार्ता, वे सब दौर उदास। मन की प्यास शमन करते वे, पनघट मरते प्यास।। वे नारी वार्ता स्थल थे, रमणी अरु गोपाल। पथिकों का श्रम हरने वाले, प्रेमी बतरस ग्वाल। पंछी […]

जो है नही वह दिखना क्या सच पर पर्दा करना क्या झूठी मान मर्यादा के लिए बनना क्या संवरना क्या यौवन आया चला जायेगा फिर अकड़ना क्या इतराना क्या बुढ़ापा आएगा आकर रहेगा फिर डरना क्या घबराना क्या जिंदा सदा रहा नही कोई फिर मौत को बुरा बताना क्या जिसने […]

   लावणी छंद* (शिल्प:-16+14=30 ,  दो दो चरणों में समतुकांत, चरणांत में लघु,दीर्घ मात्रा का बंधन नहीं होता) शस्य श्यामला इस धरती को, आओ मिलकर नमन करें। पेड़ लगाकर उनको सींचे, वसुधा आँगन चमन करें। स्वच्छ जलाशय रहे हमारे, अति दोहन से बचना है। पर्यावरणन शुद्ध रखें हम, मुक्त प्रदूषण  […]

लोग जहर उगलते हैं,रोज चेहरे बदलते हैं, सच के बने सभी किरदार हैं जो, झूठ और फरेब पे सवार होकर चलते हैं, बबन्डर नफरतों का जेहन में बरकरार हैं जिनके, बातें वो सारी प्यार-मोहब्बत की करते हैं, किसी की कामयाबी की खुशी में,शरीक होने वाले लोग, उसकी कामयाबी के चर्चो […]

 हाहाकार मची चहुँ ओर पसरा सन्नाटा है, कश्मीर से दिल्ली तक बारूद का बोल बाला है। भाषा की अभिव्यक्ति मिली, ये टुकड़े भारत के करते हैं। जिस थाली में ये खाते नापाकी उसमे ही छेद करते हैं। बहुत मांग चुके आज़ादी अब इनको सबक सीखाना है, पथ्थर बाजो को उनकी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।