ये शीराज़ा तो घड़ी भर में बिखर जाएगा किसे मालूम है कल कौन किधर जाएगा ========================== जो मोम होगा पिघल जाएगा इस आग में वो सोना होगा जो कुछ और निखर जाएगा ========================== गुनाहों  से  यूँ   दागदार  है  तेरा  चेहरा कि तू अक्स अपना देखकर डर जाएगा ========================== शाख से […]

परमात्म निमित्त दान करो दान का न गुणगान करो दाता स्वयं को न मानिए अहंकार न कोई पालिये जिसने दिया वह खुदा है पर नाम से अपने जुदा है उसी पथ को हम अपनाये गुप्त दान ही करते जाएं यही धन की सदगति है पुण्य भाव की व्रद्धि है। #गोपाल […]

आँखों में सँभालता हूँ पानी आया है प्यार शायद ख़ुशबू कैसी, झोंका हवा का घर में बार बार शायद रात सी ये ज़िंदगी और ख़्वाब हम यूँ बिसार गए बार बार नींद से जागे टूट गया है ए’तिबार शायद सिमटके सोते हैं अपने लिखे ख़तों की सेज बनाकर माज़ी की यादों से करते हैं ख़ुद को ख़बरदार शायद कुछ रोज़ की महफ़िल फिर ख़ुद से ही दूर हो गए लम्बी गईं तन्हाई की शामें दिल में है ग़ुबार शायद हमारा दिल है कि आईना देख के ख़ुश हुआ जाता है सोचता है वो आये तो ज़िंदगी में आये बहार शायद उठाए फिरते हैं दुआओं का बोझ और कुछ भी नहीं वक़्त में अब अटक गए हैं हौसले के आसार शायद सारी उम्र इन्तिज़ार करें तो कैसे बस इक आहट की अरमाँ तोड़ने का ‘राहत’ करता है कोई व्यापार शायद #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 255

नहीं मोहताज मेरे जीवन का उजाला किसी दीपक का किसी सूरज का किसी रोशनी का जो चमकता है अपनी प्रतिभा से अपने ही नूर से जो चमकता है अंधेरे में भी मुझे उजाला नहीं मिला विरासत में मुझे उजाला नहीं मिला राजभवनों से मुझे उजाला नहीं मिला धर्म-स्थलों से मुझे […]

तुमसे मिलने की इजाजत मांगता हूँ कुछ नहीं तुम्हारी चाहत मांगता हूँ अभी जी भरके तुमको देखा कहां है सुकून मेरे दिल को राहत मांगता हूँ मंदिर,मस्जिद, गिरिजाघर  गया मैं मांगी है दुआएं, सलामत मांगता हूँ आँचल लहरा दो,रहो तुम मुस्काती वो अदा शोखी,वही शरारत मांगता हूँ बनो प्यार मेरा […]

चाय दिवस हर रोज होता है…. कभी मीठी कभी फीकी कभी अदरख, तुलसी कभी इलायची कभी सादी… इसका मेरे किचन मे बनना जरुर होता है, अपनों के साथ सोशल मीडिया पर बात एक प्याला चाय और बिस्कुट का साथ लाजवाब होता है। #चारू शिखा परिचय-  नाम – चारु शिखा शिक्षा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।