चलने के लिये कदमों का रूकना   भी   जरूरी   है रूकना   जरूरी   है    तो संभलना  भी  जरूरी   है|| गुलाब   जरूरी    है   तो काँटे  भी    जरूरी     हैं चहक  उठे   बगिया   तो खिलना  भी  जरूरी  है|| ऊषा   जरूरी    है   तो यामिनी  भी  जरूरी  है फ़र्श   से     उठने  […]

आजकल हम सब लोग पश्चिमीकरण और आधुनिकता की दौड़ में इतने अंधे हो चुके हैं कि हम अपनी भारतीयता को, अपनी भारतीय संस्कृति को, सभ्यता को, भारतीय मूल्यों को भूलते जा रहे हैं ,जो वास्तव में पृथ्वी का आधार कहीं जा सकते हैं। मैंने इस छोटी सी कहानी के माध्यम […]

पतली दुबली सी टेढ़ी मेढ़ी नागिन सी बल खाती गांव की पगडण्डी चिकनी मिट्टी काली पैर फिसलते मेरे कभी दायां कभी बायां रिमझिम रिमझिम मेहा खूब बरसे पाठशाला का था प्रथम दिवस मन में नव उल्लास नव उमंग नव जिज्ञासा नव आशा हिलोरें ले रही मन ही मन कैसी होगी […]

सितारे साथ होते तो सोचो क्या दिशा होती सभी विपरीत ग्रह बैठे मगर मैं फिर भी जिन्दा हूँ। पटका आसमां से हूँ जमीं ने मुझको झेला है मिली है जो रियासत भी नहीं,खुद से शर्मिन्दा हूँ। न भाई बहन मिलते है न सगे सम्बन्धी मेरे तो न पुख्ता नीड़ बन […]

  तेरी ही जुस्तजू में, अब तो मिल संगदिल इस चांदनी रात में। रश्क आये चाँद- चांदनी को भी हमें साथ देख, चुरा ले आँखें चाँद भी हमें साथ देख। बैठे रहें हम पहरों एक दूजे के पहलू में, बीते न चांदनी रात, रहे यूँ ही क़यामत तक। न भोर […]

हम तो कभी चला ना पाये,खंजर तानों के। कैसे लोग चला लेते है,  तीर जबानों के।। शायद इसीलिए हर बेटी,रोज कुचल दी जाती है,, बन्द झरोखे पड़े हुए है, सभी मकानों के।। कैसे उनको घर कह दूँ,जिनमें बस होते ही शाम,, जाम छलकने लगते है, सारे मयखानों के।। कैसे कोई […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।