वो बंद कमरा जो खोला जाता था कभी कभी उस बंद कमरे में लोगों की नज़रों से छुपकर हम बुना करते थे अपने सपने वो बंद कमरा जिसमे अटी पड़ी थी धूल कई वर्षों की देती थी आभास उन मधुर क्षणों में पुष्प शैया सा वो बन्द कमरा जो खुलते […]

मोटी मोटी फीस मोटे मोटे बस्ते गले में है टाई कमर में बेल्ट हाथ में बोतल पीठ पर बस्ता ले टिपिन चलें आओ स्कूल चलें बस में भीड़ भाड़ धक्का मुक्की होती बार बार हर जगह कतार पहले आओ पहले पाओ फीस लेकर चलें चलो स्कूल चलें गुरुजी की डांट […]

हम तरफदार थे रिफ़ाक़त के। वो मआनी हुए रकाबत के। ~~ दर्से तहजीब क्या पढ़ायें हम, वो परस्तार खुद लियाक़त के। ~~ खुद ही शहतीर कूदकर आते, औहदेदां हैं जो क़यादत के। ~~ छल-फरेबों का बोलबाला है, अब ज़माने कहाँ सदाक़त के। ~~ जिनसे उम्मीद थी शराफत की, बीज बोते […]

1

हैरान हूँँ मैं खुद से खुद कर हैं बेहाल दिल मेरा यूॅ अब तक क्या करें इस दौर में हम मक़सद ना मिला जीने का अबतक। हैरान हूँँ मैं खुद से खुद पर आज के इस दौर में कुछ कर ना पाया मैं यूॅ अब तक सोचता हूँँ हर कदम […]

1

दीपक  तू !! तिल – तिल  कर  जलता  जा नीरव   होकर , अपना  कर्तव्य  निभाता  जा, समय  चक्र  के, साथ -साथ  तू  चलता  जा । दीपक  तू ! तिल-तिल  कर  जलता  जा ।। ज़ाहिर  हैं  जग  में पतंगे  की  तुझसे  प्रीत तू  क्यों  न , बन  सका कभी  उसका   मीत […]

देव को कालेज जाते देख भगती ने   कहा, “देव बेटा, तुम्हें याद है ना! आने वाली एकादशी पर उद्यापन करना है.सोचती हूं जितना जल्दी हो सके यह कार्य भी निपटा दूँ. इस बूढ़े शरीर में अब ज्यादा जीने की शक्ति नहीं  रही.”  “ऐसा क्यों कहती हो माँ?  मुझे सब याद […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।