जो जीवनप्राण देता है,सहारा घरका होता है नहीं कहता वो ईश्वर है,रब से कम नहीं होता मिले बल ताप ऊर्जा,सृजन पोषण ये होता है नहीं है बात सूरज की,रवि से कम नही होता मिले चहुँओर से छाँया,शीत व ताप से रक्षण नहीं बातें अम्बरकी,गगन से कम नहीं […]

.                      ~~~ 1… घूंधट  पर्दा  री  प्रथा, समय  काल अनुसार। देश अजादी मिल चुकी,अब बदलाव बयार।। 2…..‍ परदेशी  निजराँ  बचै, बिटिया बहू  हमारि। लाज शर्म बड़काँन की,घूँघट माहि सँभारि।। 3…..‍♀ जे पढ़लिख जावै नारियाँ,प्रगतिअवसर पाय। राजनीति अरु नौकरी, बणिज देखती जाय।। 4…..‍ अब तो घूँघट छोड़कर,करो  विकासी बात। लाज शर्म […]

.             (मृत्युभोज) 1…. जीते जी माँ बाप री, करे  न  सेवा  यत्न। मरने पर बहु भोज हो,यहाँ कैसा प्रयत्न।। 2….. मात पिता री साध शिशु,पाले विविध प्रकार। खून पसीनों श्रम सभी ,संतति  ऊपरि वारि।। 3…… नींद चैन  आराम भी, शौक मौज  दे त्याग। अपने सुत  नै चाहतो, मनुज सवायो भाग।। […]

ढूंढाड़ी क्षेत्रीय परम्परा व भाषा मे बाल विवाह न करने की प्रेरणा देने वाली रचना ——————- आइ रे आइ  रे आखा तीज, लाडू पुड़ी मिठाई….. चीज। टाबर ब्याह का बुवगा बीज, आइ रे आइ रे.आखा तीज। बापू   ल्यायो   नई   कमीज, चढ़ बा  बरबादी   दहलीज। कैवे बाप  आपणै टाबर  नै, बेटा […]

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माना कि इस मौत से हर एक जीव डरता है, मगर दुखों से कौन सरोकार पसन्द करता है। जीव कष्ट भोगकर भी,जीने की लालसा रखता है दुख-अपमान के पीकर घूँट,चाहें हर रोज़ मरता है। बुढ़ापे में फीके पड़ते गये,जीवन के सतरंगी रंग, भजन भूल, दुख ही बाँटे,अपने जीवनसाथी संग। सत्कर्म […]

भरै पेट जद  चाहत होवै  मोगरा, पण  रीतै न इमरत  लागै सोगरा। खसबू, भारी चोखी लागै जीवा नै, बेल,मोगरा अलबेला,बेला होवैछै। बात रईसी करै तो भाँया सुणलै रै, बेला री खसबू कामणियाँ सोवैछै। काना  माँई  सैन्ट  लगावै  डोकरा। भरै  पेट जद  चाहत  होवै मोगरा। राजस्थानी फसल बड़ीछै बाजरो, थे काँई […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।