संस्कृत से आई है हिंदी, हिन्द की पहचान है हिंदी। जनमानस की भाषा है,सरलता है; हमारी `मातृभाषा` है,ममतामयी हैll क्या थी हिंदी? कहाँ से आई हिंदी?, बनकर रह गई हम सबकी जान। पहचान स्वाभिमान बनकर है, चारों ओर है एकता का बंधन हैll प्यार,एकता,शांति की अनूठी छाप है, `राष्ट्रभाषा` भारत के […]

खुदा जो तेरा था वही खुदा तो मेरा था। फिर मेरे हिस्से में रात क्यों,तेरे तो सवेरा थाll   जश्ने-दिवाली मनाई गई तेरे घर में। तुझे क्या खबर,मेरे घर में अंधेरा थाll    रोक तो सकते थे,मगर खामोश रहे क्योंकि। जिन हाथों ने उठाए थे पत्थर, सुना था उसमें हाथ […]

बहुत हुआ माजरा गम का, रातों की नींद गई आसमां पर दिन का आस खोता नजर, मनुष्य लुप्त होते नजर खुश तो है नहीं तू, फिर आतंक बन्द कर।          जर्जर मत कर ये धरती, कल तेरा भी खाक होगा आज जीत का जश्न कर, कल तेरा भी बर्बाद होगा […]

चलते-चलते थक गया हूँ मैं बहुत, गोद में माँ तेरी सोना चाहता हूँ। दिल भरा है पर बहुत खामोश हूँ, आँचल से लिपट बस रोना चाहता हूँ। जी करे जी भर के जिद तुमसे करुं, माँ मैं फिर से जिद्दी होना चाहता हूँ। जिसे पाकर भूल जाऊं दुनिया का गम, […]

हम तुम बने हैं रेल की पटरी की तरह। चलेंगे साथ-साथ,फिर भी न मिलेंगे कभी॥ तकदीर का तमाशा कौन जान पाया है। खिजां के फूल हैं क्या हम खिलेंगे कभी॥ कुछ बेहतर ही होगा जो खामोश रहा करते हैं। किया है वादा न अब होंठ हिलेंगे कभी॥ यूँ तो बातें […]

जिन्दगी की राहों में अगर तू नहीं। तो और चलने की अब जुस्तजू नहीं॥ आहिस्ता से छूना पुराना लिबास हूँ। यादों के सिवा अब बची कोई रफू नहीं॥ अजीब सिरफिरा हो गया है मेरा दिल। हर पल तेरी ही याद पर तेरी आरजू नहीं॥ तेरे शहर के लोग जिसे कह […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।