सावन – झूले मैके  याद दिलाते खुशियाँ  लाते सावन –  बाट जोहती हैं  बेटियाँ झूले का पाट मेघा गरजे झमाझम  बारिश धरा हरषे गायब हुआ पुराना वो सावन मनभावन रक्षा बन्धन संवेदना  का पर्व नेह  -बन्धन आओ  झूम लें पानी में  खूब भीगे घृणा  मिटाएं सावन- झूले बाबुल   याद आये […]

ब्रम्हांड है माँ ! अनुभूति प्रथम ! संपूर्ति है माँ ! निःस्वार्थ भाव ! संघर्ष झेलती वो ! है निर्मात्री माँ ! पुनीत भाव ! पवित्र परिभाषा ! पावन है माँ ! #अलका गुप्ता ‘भारती’ परिचय : श्रीमती अलका गुप्ता ‘भारती’ मेरठ (उ.प्र.) में रहती हैं। काव्यरस-सब रस या मिश्रण […]

माता व पिता, ईश्वर ही तो होते हैं.. घर मन्दिर। घर आँगन, सजे हैं बेटियों से.. सम्मान पात्र। भला ही लागे, प्रफुल्लित मन से.. हर त्यौहार। शक़ का बीज, एक बार जो बोया.. टूटते रिश्ते।                               […]

1

हर तरफ रंग के निशान थे, मुझे कोई रंग नहीं भाया। कोरी कागज-सी खिड़की पर बैठी रही, क्योंकि वो नहीं आया।। गाँव गलियां रंगीं सारी सखियाँ रंगीं, मैंने आँसू से पलकों को बस रंगा। तुझको क्या है खबर ऐ मेरे हमसफर, सबकुछ देकर भी हमने कुछ नहीं पाया।। जब पूछा […]

“आज विश्व गौरेया दिवस पर विशेष” चोंच में दाना, उठा उड़ी गोरैया.. चुगाती चूजे। कब आओगी, गौरैया मेरे द्वार.. दाना चुगने। पेड़ पर है, तिनकों का घोंसला.. गौरैया नहीं। नन्हीं गौरैया, फुदक-फुदक कर.. दाना चुगती। मुन्ने के सिर फुदक रहा चूजा.. प्रेम बंधन। अंजुरी भर, प्रेममयी गोरैया.. स्नेहिल स्पर्श।   […]

1

ओछे मन के, लोग होते ओछे ही बड़े न होते। दौड़ते लोग, शुगर से लाचार संयम नहीं। मुखौटे लगा, छुपाते हैं चेहरे सच्चे बनते। चैन हराम, दौड़ें जीवन भर धनी बनते। सुनें गालियाँ, लाचार मज़बूर नन्हें बालक। कटते पेड़, लाचार पंछियों का नहीं ठिकाना। मन लालची, थी रिश्वत खाई जेल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।