शाम को रक्कासा के पग में जब पैंजनिया सजती हैं, और दौराने रक्स वो कैसी छम छम छम सी बजती हैं। तब मयकश है नोट लुटाते,वाह वाह वाह कहकर, और वासनामय नजरों में हुस्न को सारा ही भरकर। मैंने पूछा रोज क्यूं इनके विष दंतों को सहती हो, रोज़ शाम […]

कितने भी हों हालात बुरे,फिर भी इज़्जत से जी सकता, सम्मान मिले गर लोगों से,तो चाक ज़िगर भी सी सकता। अपमानित होकर जीना भी, जीना है इस दुनिया में, खुद्दारी जिसके रक्त में हो, अपमान का घूंट न पी सकता॥                     […]

माना गुस्ताखियाँ बहुत हुईं मुझसे, कहीं  दिल आपका दुखा तो नहीं। हमने बिछाए फूल आपकी राहों में, बताएं  कोई काँटा लगा तो नहीं। उनको ढूंढते ज़माना है गुजरा, हमनवां कोई अभी मिला तो नहीं। बड़ी संग-दिल खुदगर्ज़ है दुनिया, कोई हमदर्द हमें दिखा तो नहीं। तक़दीर पर जब किया यकीं […]

नन्द को लाला वो बंशीवाला, मन का है काला,सखी बड़ो चितचोर है। बीच डगर में छेड़े कलईयां मेरी मरोड़े, दधि की मटकियां फोड़े,ऐसो नन्द किशोर है। अपने सखाओं संग करतो है उत्पात, काऊ से बो डरे नहीं बड़ो बरजोर है। दुर्लभ है जो सुख बड़े ग्यानी-ध्यानियों को, वाई सुख से […]

कोई हसरत ना रही,कोई आरज़ू ना रही, दिल ऐसा तोड़ा है,अब कोई जुस्तज़ू ना रही। कितने वादे किए थे,साथ जीने-मरने के, क्या हसीं बातें थी,अब वो भी तो मौज़ू ना रही॥                                       […]

आँखों से पिलाए न साकी,तो क्या रखा है पीने में, ज़जबात न हों जिस दिल में कोई वो दिल भी क्या है सीने में। किस्मत बुलन्द है क्या मेरी,पाया हमराज़ तेरे जैसा, हमराही न हो तुम-सा गर,तो फिर क्या रखा है जीने में। नीलम,पुख़राज,मणीं-माणिक सारे ही पहन कर देख लिया, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।