कहाँ गया हिंदुस्तान अपना ? ढूंढ रहा हूँ मुकाम अपना । जाति-धर्म पर कोई बांटे हमको, अपने -अपने हद में धुसते ही डाँटें हमको, किसी का नारा “मुम्बई हमची” , कोई कहे गुजरात  अपना । कहाँ गया हिंदुस्तान अपना ? ढूंढ रहा हूँ मुकाम अपना । कोई कहे यू पी […]

सह लिया मैंने हर सितम को तेरे , दर्द की नज़्म को मैं गुनगुनाती रही । कह न पाई कभी महफ़िलों में तेरे, लफ्ज़ से लफ्ज़ को मैं दबाती रही । इधर-उधर सदा तुम भटकते फिरे, तेरे घर को मैं यूँ ही सजाती रही । हर वक्त  मुझको तुम ठुकराते […]

प्रसरित हो वह सूर्य-लालिमा; रजनी-चंद्रिका प्रसरित हो। शुष्क पड़ा;जन हो उद्विग्न; बाढ़ लहर लहराई हो। तप्त करे यह सूर्य की ऊष्मा; हिम-वृष्टि नहलाई हो। क्या ऐसा भी हो सकता! ‘पतझड़ ऋतु में हरियाली होl’ है जग में कुछ भी न असंभव, विजय का दूजा नाम ही संभव। आए अर्क जो […]

मैं बीज हूँ नफरत का, मेरे लिए जमीन तैयार किया गया है, मैं अभी तो अंकुरित हो रहा हूँ, फिर भी, असर दिख रहा है जन मानस पर, अपनों के बीच भी दरार है, वृक्ष का रूप भी होगा मेरा, फैलूंगा जन-जन में, राष्ट्र में, विश्व में,ब्रह्माण्ड में, छांव भी […]

माना कि ‘अंग्रेजी’ की लिपि लिखना बड़ा लुभाता है; ‘गणित’ में जोड़-घटाना उसका महत्त्व समझ में आता है। ‘सामाजिक विज्ञान’ को पढ़कर समझ समाज यह आता है; माना कि ‘इतिहास’ को पढ़कर आँसू भर-भर आता है। ‘रानी’ थी जो लड़-लड़ अपने प्राण न्योछावर कर बैठी; ‘राणा’ दुश्मन काट-मारकर वीरगति को […]

कहाँ गए सावन के झूले , जो हर डाली पर पड़े हुए थे। कहाँ गईं सखियों की टोली, जो पीहर में घर-घर विचर रहीं थीं। कहाँ गए बच्चों के  वो ऊधम , जो मामा के संग मचा रहे थे । कहाँ गए वो गांव हमारे, जहां सावन में रस बरस […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।